tag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post7595829114899699367..comments2024-03-11T07:53:35.778+05:30Comments on इयत्ता: महंगाई को लेकर भूतियाये लालूइष्ट देव सांकृत्यायनhttp://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-56409603944552843752010-01-18T19:39:34.234+05:302010-01-18T19:39:34.234+05:30नितीश का शासन अच्छा चल रहा है लालू ख्बाव देखते रहे...नितीश का शासन अच्छा चल रहा है लालू ख्बाव देखते रहें.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-72504109814614364112010-01-18T17:59:09.008+05:302010-01-18T17:59:09.008+05:30ऐसे मुद्दे तो होने ही चाहिए ताकि सियासत की रोटी पक...ऐसे मुद्दे तो होने ही चाहिए ताकि सियासत की रोटी पकती रहे... अभी बिहार का विकास रिपोर्ट भी आ गया है... तो वहां तो कोई गुंजाइश है नहीं २ मुद्दा है उनके पास... एक रेल दुर्घटना दूसरा शाश्वत महंगाई..सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-84392226846065549522010-01-18T17:57:05.205+05:302010-01-18T17:57:05.205+05:30Aapke ek ek shabd se sahmat hun...Aapke ek ek shabd se sahmat hun...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-6849412996840434462010-01-18T16:02:12.789+05:302010-01-18T16:02:12.789+05:30इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि महंगाई एक ...इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि महंगाई एक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों को पूरा हक है कि वे सरकार को घेरे। लेकिन सरकार को घेरने के चक्कर में जनता की ऐसी की तैसी करने का अधिकार किसी को नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार को जनविरोधी बताने वाले लालू यादव खुद जनविरोधी तरीके अख्तियार कर रहे हैं। बदलते समय की मांग है कि ‘राजनीति के लिए राजनीति’ की फिलासफी अब नहीं चलेगी। सही मुद्दों को उठाने का तरीका भी सही होना चाहिये। बंद की प्रवृति को नकारना ही होगा, भले ही इस बंद की भागीदारी का आकार कुछ भी क्यों न हो.............<br />निष्कर्ष से सहमत मगर बिना चिल्लाये कोई सुनता भी तो नहीं.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.com