tag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post3426263137092613236..comments2024-03-11T07:53:35.778+05:30Comments on इयत्ता: मोहल्ले का चार सौ बीसाइष्ट देव सांकृत्यायनhttp://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-63762705076237415662008-01-29T06:10:00.000+05:302008-01-29T06:10:00.000+05:30मोहल्ले को '420' बनाने के लिए अविनाश को बधाई। लोकम...मोहल्ले को '420' बनाने के लिए अविनाश को बधाई। लोकमंच के बाद मेरा पहला लेख मोहल्ला पर ही छपा था। और, उसके बाद मैंने अपना ब्लॉग बनाया। उसके बाद भी कुछके लेख मैंने मोहल्ले पर भी दिए। कुल मिलाकर इस चार सौ बीसी मोहल्ले में अजित जी की बात को और आगे ले जाएं तो, हर तरह की टोली मिल जाएगी। वाममार्गी, दक्षिणमार्गी, सरलमार्गी, तटस्थमार्गी, निष्पक्षमार्गी, उलट-पुलटमार्गी, धड़ाम-धुड़ूम मार्गी, बेसिर पैर मार्गी-- कोई कम कोई ज्यादा। कम ज्यादा के अनुपात में राय भी बनती है।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-50472258650603818422008-01-28T23:17:00.000+05:302008-01-28T23:17:00.000+05:30सही किस्सा सुनाए साहब!!खबरों का टोटा वाली हालत हमा...सही किस्सा सुनाए साहब!!<BR/>खबरों का टोटा वाली हालत हमारे साथ भी हुई है और तब सिटी चीफ की डांट खाने के बाद खबरों का जुगाड़ किया जाना याद है हमें अभी तक।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-82629040738308692432008-01-28T20:55:00.000+05:302008-01-28T20:55:00.000+05:30इष्टदेव जी आप गुलरी के फूल हो गये हैं. पुराना नंबर...इष्टदेव जी आप गुलरी के फूल हो गये हैं. पुराना नंबर घर छोड़कर जाते हैं और भूलकर फोन भी नहीं करते. अब ब्लागों के जरिए आपको पकड़ना होगा. यह तो नाइंसाफी हो गयी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-25225118600469147662008-01-28T20:16:00.000+05:302008-01-28T20:16:00.000+05:30बहुत सही कालम शुरू किया है आपने ब्लाग चर्चा। लेकिन...बहुत सही कालम शुरू किया है आपने ब्लाग चर्चा। लेकिन वह काम न शुरू कर दीजिएगा। अरे वही, दूसरे को गरियाने का- अपने ब्लाग के माध्यम से दूसरे के ब्लाग को। अइसे तमाम ब्लाग चल ही रहे हैं। १०-१५ गिने चुने नाम और सब स्वनामधन्य विद्वान। सब एक दूसरे की टंगखिंचाई करते हैं और चर्चा में बने हुए महसूस करते हैं।Satyendra PShttps://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-90567964607334510622008-01-28T20:06:00.000+05:302008-01-28T20:06:00.000+05:30यह पोस्ट पढ़ ली भाई जी।यह पोस्ट पढ़ ली भाई जी।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com