tag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post2428148734687219861..comments2024-03-11T07:53:35.778+05:30Comments on इयत्ता: मोगाम्बो खुश हुआ!इष्ट देव सांकृत्यायनhttp://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-561922769438772992007-10-04T19:25:00.000+05:302007-10-04T19:25:00.000+05:30भैया हम तो ठहरे बिहारी लेकिन उल्टा पदेश के बारे मे...भैया हम तो ठहरे बिहारी लेकिन उल्टा पदेश के बारे में पढ़कर हमर खोपरिया भी उलट गयेल. कुल मिलाकर बहुत बढ़िया है. एकदम मस्त.रतनhttps://www.blogger.com/profile/00440008020151488900noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-78957929536737513292007-10-03T17:41:00.000+05:302007-10-03T17:41:00.000+05:30Are bhaee sach kaha hai- khuda ne husn nadaanon k...Are bhaee sach kaha hai- <BR/>khuda ne husn nadaanon ko bakhsha zasr razeelon ko . Aklmandon ko rotee khushk aur halwa vakheelon ko.. Vinay ojha snehilविनय ओझा 'स्नेहिल'https://www.blogger.com/profile/10471466646292910182noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-12290735003193419042007-10-03T08:55:00.000+05:302007-10-03T08:55:00.000+05:30अनिल भाई शुक्रिया. वैसे इस व्यंग्य की प्रेरणा आपके...अनिल भाई शुक्रिया. वैसे इस व्यंग्य की प्रेरणा आपके पोस्ट से ही मिली थी.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-22091155231813881062007-10-03T08:40:00.000+05:302007-10-03T08:40:00.000+05:30क्या बात है!! आप तो बाई-डिफॉल्ट तगड़ा व्यंग्य लिखत...क्या बात है!! आप तो बाई-डिफॉल्ट तगड़ा व्यंग्य लिखते हैं, बड़ा अच्छा लिखते हैं। इस व्यंग्य में आम इंसान की जो पीड़ा की धारा है, वह भी दिल को कहीं अंदर से चीर कर रख देती है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-86798098031599630882007-10-03T06:52:00.000+05:302007-10-03T06:52:00.000+05:30"जो रिश्वत भी नहीं ले रहे, हेराफेरी भी नहीं कर रहे..."जो रिश्वत भी नहीं ले रहे, हेराफेरी भी नहीं कर रहे, गद्दारी और हरामखोरी भी नहीं कर रहे; क्या यह सब करके आप हरामखोरी नहीं कर रहे? खुद अपने और अपने परिवार के साथ?"<BR/>----------------------<BR/><BR/>हरामखोरी तो नहीं; पर कभी तुलना के मोड में आते हैं तो अवसाद अवश्य होता है कि फलाने जी के पास क्या मस्त सुविधायें हैं. मजे की बात है कि जिसके पास विटामिन-आर है उसके पास प्रशंसकों की भी कमी नहीं होती. जिसके पास नहीं उसे लल्लू की संज्ञा दी जाती है. <BR/>पोस्ट बहुत अच्छी है.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com