tag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post113203917127599439..comments2024-03-11T07:53:35.778+05:30Comments on इयत्ता: बिहार में रिफोर्मिस्ट की कमी हैइष्ट देव सांकृत्यायनhttp://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-20700457114061123262010-09-14T22:31:31.448+05:302010-09-14T22:31:31.448+05:30shakhsiyat mein talavya sh hota hai yaa dantya sshakhsiyat mein talavya sh hota hai yaa dantya sAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-92056281758263101832010-04-09T15:45:08.943+05:302010-04-09T15:45:08.943+05:30एक जमीनी हकीकत .एक जमीनी हकीकत .RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995679880272695615.post-19061444169654738912010-04-05T07:41:41.615+05:302010-04-05T07:41:41.615+05:30पटना के कालिदास रंगायल में मेरे साथ दो-तीन लोग और ...पटना के कालिदास रंगायल में मेरे साथ दो-तीन लोग और बैठे हुये थे। उस सख्सियत की बातों में मुझे रस मिल रहा था। बात को आगे बढ़ाते हुये मैंने कहा, महाराष्ट्र में लोग टिकट खरीद कर नाटक देखने आते हैं। दिल्ली में भी कमोवेश यही स्थिति है। फिर बिहार में रंगमंच प्रोफेसनलिज्म की ओर क्यों नहीं बढ़ रहा है ? इतना सुनते ही एक लंबी सांस लेने के बाद वह बोले, आपको पता है कालिदास रंगालय में किस तरह के दर्शक आते हैं। लुंगी-गंजी पहन कर कांधे पर गमछा रखकर लोग नाटक देखने आते हैं। इतना ही नहीं वे पैर को अगली सीट पर फेंक कर बैठते हैं। और यदि उन्हें मना करो तो मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। रंगमंच सजग दर्शक की मांग करती है। आपको पता है बंगाल में लोग बड़े शौक से नाटक देखने जाते हैं। वो भी पूरे परिवार के साथ। घर में सुबह से ही जश्न का माहौल रहता है। लेकिन पटना में रंगमंच पूरी तरह से उपेक्षित है।....यह काफी निराशा जनक है.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.com