चाहिए कुछ भी नहीं

चाहिए कुछ भी नहीं तुमसे मुझे
न सांसों की सरगम
न आने की आहट
न धुंध खयालों का
न अहसास रहगुजर सा
शहनाई भी नहीं
रानाई भी नहीं
परछाई भी नहीं
तनहाई भी नहीं
रुसवाई भी नहीं
तुम सोचते होगे यह
क्या चाहिए है मुझको
बस साथ इस तरह से
मिलता रहे तुम्हारा
जब जी में आए देखूं
जब जी करे भुलाऊं
तुम राह में न आओ
मैं तुमको गुनगुनाऊं
देना है अगर साथ मेरा
इस तरह तुम्हें
तब ही तो मैं कुछ कर सकूंगा
अपने लिए, तेरे लिए, जग के लिए
चाहिए कुछ भी नहीं तुमसे मुझे

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