कहां है चैनलों को मिले 268 नोटिसों का जवाब ??

आलोक नंदन
सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय ने कलर्स टीवी पर चलने वाला धारावाहिक “ना आना इस देश लाडो” और तथाकथित रियलिटी शो “बिग बास 3” के लिए कलर्स चैनल को कारण बताओं नोटिस जारी किया है। सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय का कहना है कि “ना आना इस देश लाडो” में एक मजिस्ट्रेट को नकारात्मरूप से दिखाया जा रहा है, जो सरासर गलत है। सूचना एंव प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी मजबूत तर्क प्रस्तुत कर रही हैं कि एक मजिस्ट्रेट को इस रूप में नहीं चित्रित किया जा सकता है। राज्य की छवि इससे खराब होती है, और राज्य को यह पूरा अधिकार है कि वह अपने सार्वजनिक पदों के मान और सम्मान की रक्षा करे। मंत्रालय का कहना है कि अब तक प्रोग्राम कोड को ठेंगा दिखाने वाले विभिन्न चैनलों को 268 नोटिस भेजे जा चुके हैं। यदि इनलोगों ने अपने आप को नियंत्रित नहीं किया तो अब नोटिस नहीं भेजा जाएगा, बल्कि सीधे कार्रवाई होगी। बिग बास 3 में संचालक की भूमिका में अमिताभ बच्चन भी हैं, और बिग पर अश्लीलता परोसने की बात सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय कर रहा है।
ना आना इस देश लाड़ो को कन्या भ्रूण हत्या के इमोशनल ड्रामे के साथ परोसा जा रहा है, लेकिन जिस तरह से एक मजिस्ट्रेट को करप्ट दिखाया जा रहा है, उससे मंत्रालय की त्योरियां चढ़ी हुईं है, हालांकि इससे आम जन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है कि मजिस्ट्रेट करप्ट है या नहीं। क्योंकि करप्शन के पीछे आम जनता की साइकोलोजी कुछ और है। करप्शन को वह देश भर में सहज भाव से लेती है, एवरी वाक आफ लाइफ में। एक मजिस्ट्रेट को करप्ट दिखाने और न दिखाने से आम जनता के सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है। वह इसको लेकर हैबिचुअल है, हालांकि सूचना मंत्रालय का यह कदम नैतिकता से भरा हुआ है, उसे पूरा हक है कि वह राज्य अधिकारियों सम्मान की रक्षा करे। लेकिन इनकी धज्जियां तो फिल्मों में विभिन्न स्तर पर अर्से से उड़ाई जा रही हैं, छोटे पर्दे ने इधर शुरु की है। हालांकि एक प्रश्न स्वाभाविक है कि तमाम तरह की चीजों को कम्युनिकेट करने वाले चैनल्स नोटिस का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं। 268 नोटिस में से अब तक कितने चैनलों ने जवाब दिया है, यदि नहीं तो क्यों नहीं, और यदि हां तो क्या ?? आम जन के लिए सूचना के अधिकार के तहत यह जानना रोचक होगा। इलेक्ट्रोनिक संचार माध्यमों को रेग्लुरेट करने की बात लगातार हो रही है, और अब अंबिका सोनी नोटिस से आगे बढ़ने की बात कर रही हैं, तो निसंदेह कुछ भी हो सकता है।
बिग बास 3 को बार बार अश्लील कहा जा रहा है, और ऐसा लोगों ने भी कई बार महसूस किया है, और चिंतित भी हुये हैं। हालांकि उस तरह के दृश्य को रियलिटी शो के नाम पर जिस तरह से परोसा जा रहा है, उसे देखने की गुप्त मंशा रखने वाले दर्शकों की भी कमी नहीं है, लेकिन भारतीय शिष्टाचार के स्तर पर लोगों ने इसे लेकर ऊबकाई जरूर महसूस किया है। बेशक नब्बे फीसदी लोग मानते हैं कि यह बदबू से भरा हुआ रियलिटी शो है, और दूर दूर तक फैले हुये भारतीय संस्कृति को मवाद की तरह प्रदूषित करने का काम कर रहा है। हालांकि अब लोग इसके भी अभ्स्त हो चले हैं।
वैसे इस तरह के रियलिटी शो के पहले संवादों के माध्यम से महेश भट्ट और एकता कपूर लोगों के दिमाग में बहुत ज्यादा थूक चुके हैं। स्वाभिमान और बाद में सास बहू के ड्रामे के नाम पर अवैध संबंधों की इतनी किश्तें दिखाई कि छोटे छोटे शहरों तक में अच्छी-अच्छी औरतें भी फैन्टसी में इसका सूख लेने लगी थी। खैर जो होना था वह हो चुका है, उस पर सिर फोड़ने से कुछ नहीं हो सकता। सोचने वाली बात यह है कि अमिताभ बच्चन बिग बास 3 में क्या कर रहे हैं। क्या वह सिर्फ कमाऊ मशीन बन चुके हैं?? यदि वह ऐसा सोंचते हैं तो उन्हें भी निसंकोच इसी पांत में बिठाकर क्षमा किया जा सकता है। लेकिन कहीं न कहीं उनसे इतनी उम्मीद तो लोगों को बंधती ही है कि लोगों के दिमाग को करप्ट करने वाली चीजों से वह दूर रहे। वैसे प्रोफेसनिल्जम का तकाजा यही है कि वह बस माल बटोरते रहे, दुनिया जाये भाड़ में।
बहरहाल अंबिका सोनी मीडिया को सेल्फ रेग्युलेट करने पर जोर दे रही हैं, जिसे मीडिया वाले या तो समझ नहीं पा रहे हैं, या फिर अपने आप को समझने और समझाने की सीमा से परे समझते हैं। सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय कलर्स को केबल टेलीविजन रेगुलेशन एक्ट -1955 को सख्ती से पालन करने को कह रहा है।

Comments

  1. कुछ दिनों पहले भी हिंदुस्तान में इसपर कुछ आलेख पढ़ चुका हूँ.,.. आपने सिलसिला आगे बढाया... शुक्रिया... अम्बिका सोनी से इस बाबत सभी बड़े मीडिया पर्सन मिले भी थे... खबर थी की सरकार इसपर सबको फटकार लगाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ... यह सिर्फ कागजों पर होता है, नींद से जागे तो एक चिठ्ठी भेज दी... फिर वोही हाल...

    वैसे स्वागत योग्य कदम तो चैनलों में आती बाढ़ को लेकर चिंतित सूचना और प्रसारण मंत्रालय का भी है... फिलहाल स्टील और दवाई के व्यापारी भी चैनल खोल कर दुकानदारी कर रहे हैं... जिन्हें प्रसारण न कोई ज्ञान है ना पर्याप्त पूंजी, ना पत्रकारों के भविष्य की गारंटी, ना अनुभव...
    अच्छा है सरकार वक्त रहते सिर्फ जगे ही नहीं कारवाई भी करे...

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  3. बंधु आलोक जी, आपके पास गजब की भाषा है. विषयोचित भाषा का चुनाव और पूरी क्षमता के साथ उसका निर्वहन, बातों को रखने का तेवर आप में अद्भुत है. मैं आपकी दलीलों से पूरी तरह मुतमइन हूं और दुआ करता हूं कि जल्द से जल्द हुकूमत-ए-हिंदुस्तान के काबिल हुक्कामों को अक्ल आए. आमीन.

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  4. Bahut sahi kaha aapne..poorntah sahmat hun aapse...

    Dhkha jaay is tarah ke gandagi parosne wale chainalon ke taraf kanoon apne haath badhati hai ya nahi...

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  5. आलोक जी

    आपकी चिंता से मैं पूरा इत्तेफ़ाक रखता हूं. लेकिन जहां तक बात है सरकार की नोटिसों और उसकी कार्रवाई की तो सही बात यह है कि सरकार कुछ नहीं करेगी. इसके मजिस्ट्रेट की कोई इज़्जत न थी, न है और न होगी कभी. जिस तरह कचहरी में सरे-आम रिश्वतखोरी चलती है, वह किससे छिपी हुई है. रही बात अश्लीलता की तो उसे अब बहदुरी कहा जाने लगा है. आख़िर क्या वजह है 'सच का सामना' जिस पर कई देशों में रोक लगाई जा चुकी है, वह दुबारा दिखाया जाने वाला है. सरकार अभी कार्रवाई का सिर्फ़ नाटक कर रही है, अपनी ताक़त दिखाने के लिए. वह कार्रवाई करेगी तब जब इसके किसी मंत्री या बड़े नेता पर कोई सीधा आरोप लगेगा. तब तो ये चैनल की बिजली-पानी तक काट देंगे. लेकिन जब तक ऐसा कुछ नहीं होता तब तक कुछ नहीं होने वाला है. और चैनलों में भी अब ऐसे बेवकूफ़ लोग नहीं बैठे हैं जो घर फूंक तमाशा देखें. वे भी सिर्फ़ कमाने आए हैं. कमाएंगे और मस्त रहेंगे.

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